दिल्ली , प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को बुद्धपुर्णिमा के अवसर पर संबोधित किया एवं शुभकामनाएं दी ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर समस्त देशवासियों को संबोधित किये । उन्होंने कहा कि बोधगया और कुशीनगर के अलावा श्रीलंका में बुद्ध और वास्तु मंदिर में हो रहे समारोहों को ,इस तरह कितनी अद्भुत कल्पना है । कितना सुंदर दृश्य है ।  हर जगह हो रहे  पूजा कार्यक्रमों का  ऑनलाइन प्रसारण होना,  अपने आप में  अद्भुत है ।उन्होंने कहा यह दुनिया को एक दिशा देने वाला है । उन्होंने कहा बुद्ध जिस विचारों से पर चलकर हम एक दूसरे से सद्भाव की ओर आ रहे है । वह आसान बना सकते हैं । प्रधानमंत्री ने कहा जितना संभव हो सके दूसरे की मदद करिए , क्योंकि बुद्ध हमेशा यही कहते थे , और उन्होंने यह भी कहा कि आप सोचते हैं कि, आप पूजा किस तरह से करेंगे तो आप किसी गरीब को खाना खिला दे । मानवता की सेवा में हर पल लगे सबकी मदद के लिए तैयार रहते हैं । हमेशा प्रवृत्तियों का अथवा इसलिए आपका और मेरा मन का जुड़ाव , उसके कारण शसरीर उपस्थिति की कमी उतनी महसूस नहीं होती । आपके सामने आकर बात होती तो, बहुत खुशी की बात होती । लेकिन अभी महामारी से मुकाबला कर रहे , पूरी दुनिया के  हेल्थ वर्कर  ,और दूसरे सेवा कर्मियों के लिए , प्रार्थना शब्द रूप में मनाने का संकल्प लिया है । करुणा से भरी आपके लिए  मैं ,आपकी सराहना करता हूँ ।  मुझे पूरा विश्वास है  की ,ऐसे ही संगठित प्रयासों से  लोगों की परेशानियों को  को दूर करने के संकल्प , भारत की सभ्यता को , संस्कृति को ,  संस्कृत समय का चक्र  अनेकों परिस्थितियों को समझते हुए, निरंतर चल रहा  समाज की व्यवस्थाएं ,भक्ति है । लेकिन भगवान बुद्ध का संदेश  हमारे जीवन में निरंतर प्रवाह मान रहा है ।  इसलिए संभव हो पाया है । क्योंकि बुद्ध का एक पवित्र विचार  मानवता का मार्गदर्शन करता है । सामाजिक परिवर्तन की पराकाष्ठा  बुद्धू है । भगवान बुद्ध का संदेश हमारे जीवन में निरंतर प्रवाह मान है । इसलिए संभव हो पाया है, क्योंकि बुद्ध नाम नहीं है ,बल्कि एक पवित्र विचार भी है । मजबूत इच्छाशक्ति से सामाजिक परिवर्तन की पराकाष्ठा, जो स्वयं को किसी मरीज के इलाज के लिए, किसी गरीब को भोजन कराने के लिए, किसी अस्पताल में सफाई के लिए, किसी सड़क पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 24 घंटे चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं । भारत में भारत के प्रति विश्व के हर कोने में ऐसा प्रत्येक व्यक्ति अभिनंदन का पात्र है । नमन का पात्र है । ऐसे समय में और भी प्रासंगिक हो जाती है । भगवान बुध ने कहा था मानव को निरंतर अच्छे प्रयास करना चाहिए । उनके बताए चार सत्य दया, करुणा, सुख-दुख के प्रति समभाव ,और जो जैसा है उसको उसी रूप में स्वीकारना । यह सत्य निरंतर भारत भूमि की प्रेरणा बने हुए है । आज आप भी देख रहे हैं कि, भारत निस्वार्थ भाव से बिना किसी भेदभाव के अपने यहां भी, और पूरे विश्व में, कहीं भी संकट में घिरे व्यक्ति के साथ पूरी मजबूती से खड़ा है । लाभ-हानि समर्थ-असमर्थ हमारे लिए संकट की घड़ी सबकी सहायता करने की है । जितना संभव हो मदद का हाथ आगे बढ़ाने की है। यही कारण है, भारत को आज प्रत्येक भारतवासी का जीवन बचाने के लिए हर संभव प्रयास तो कर ही रहा है । अपने वैश्विक दायित्वों का भी उतनी ही गंभीरता से पालन कर रहा है । उन्होंने कहा भगवान बुद्ध का एक-एक वचन  मानवता के सेवा में भारत की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है । बुद्ध भारत के बौद्ध और भारत के आत्मबोध दोनों का प्रतीक है । इस जीत के साथ भारत पूरी मानवता के लिए पूरे विश्व में काम कर रहा है । और करता रहेगा । भारत की प्रगति हमेशा विश्व की प्रगति में सहायक होगी । प्रधानमंत्री ने कहा हमारी सफलता के पैमाने, समय के साथ बदलते रहते हैं । मानव को निरंतर  यह प्रयास करना चाहिए , वह कठिनाईयो पर  विजय प्राप्त करें । उन से बाहर निकले , कठिनाइयों को देखकर रुक जाना  नहीं,  हो सकता है  कठिन परिस्थिति से निकलने के लिए  निरंतर भावना पूरी मजबूती से खड़ा  रहे । लाभ - हानि , समर्थ - असमर्थ  हमारे लिए  संकट की घड़ी  सहायता करने की है ।  जितना संभव हो  मदद का हाथ आगे बढ़ाये । यही कारण है हमने जरूरतमंद तक  पहुंचने में  कोई कसर नहीं छोड़ी ।  भारत  आज प्रत्येक भारतवासी का जीवन बचाने के लिए  हर संभव  प्रयास तो कर ही रहा है । अपने  उतनी ही गंभीरता से पालन भगवान आत्मकथा  पूरी मानवता के लिए  पूरे विश्व के हित में  काम कर रहा है ,और  करता रहेगा  । भारत की प्रगति हमेशा  विश्व की प्रगति में सहायक होगी ।  लेकिन  जो बात हमें हमेशा ध्यान रखती हैं कि हमारा काम निरंतर सेवा भाव से ही होना चाहिए  । जब दूसरे के लिए करना , संवेदना और सेवा का भाव हो तो , यह भावनाएं हमें इतना मजबूर कर देती हैं कि ,बड़ी से बड़ी चुनौती से आप पार पा सकते हैं  । हर समय मानवता की सेवा में जुटे रहते हैं । यही भाव  हमारे जीवन को प्रकाशमान करता रहे, गतिमान करता रहे , लेकिन जो बात हमें हमेशा ध्यान रखनी हैं, कि हमारा काम निरंतर सेवा भाव से ही होना चाहिए । जब दूसरे के लिए करना संवेदना, और सेवा का भाव हो तो यह भावनाएं हमें इतना मजबूर कर देती है । कि बड़ी से बड़ी चुनौती से आप बार-बार पार पा सकते हैं । बुद्ध का विचार हमारे जीवन को प्रकाशमान करता रहे, गतिमान करता रहे ।

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