बिहार , मुजफ्फरपुर ,, कोरोनावायरस और देशभर में 3 मई तक लॉक डाउन लागू है। इसी बीच बिहार सरकार ने मुजफ्फरपुर जिले के गांव गंगिया, जो विधानसभा के पहले स्पीकर रहे रामदयालु सिंह समेत कई स्वतंत्रता सेनानियों का गांव है। जो बागमती नदी के किनारे बसा है। जिसके जमीन अधिग्रहण करने का आदेश सरकार की ओर से जारी कर दिया गया है।।
मुजफ्फरपुर के कटरा औराई और गायघाट इलाके में 2007 से ही बागमती परियोजना के अंतर्गत बागमती नदी के दोनों किनारे बांध बनाने का कार्य चल रहा है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण की आवश्यकता है। इसी आवश्यकता को पूरा करने के लिए औराई और कटरा इलाके में बांध निर्माण के कार्य में रुकावट आ रही थी काफी हद तक इस प्रक्रिया को पूरा भी कर लिया गया है लेकिन बांध के अंदर जमीन कमाने वाले इलाके के लोग बसने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन करते रहे हैं।
सी बीच रुन्नीसैदपुर कार्यपालक अभियंता की ओर से गंगिया के 405 लोगों के नाम से एक आम सूचना जारी किया गया और सूचना में कहा गया कि बिहार रैयती लीज नीति के तहत बागमती तटबंध के बीच परने वाले मुजफ्फरपुर जिले में गंगिया उर्फ परमानंदपुर गांव की 9.48 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाना अपेक्षित है। इसलिए सूचना प्रकाशन की तिथि से 15 दिन के अंदर अपने भूमि देने के लिए सहमति या आपत्ति आवेदन पत्र कार्यालय अभियंता के कार्यालय को समर्पित करें।
मुजफ्फरपुर के कटरा औराई और गायघाट इलाके में 2007 से ही बागमती परियोजना के अंतर्गत बागमती नदी के दोनों किनारे बांध बनाने का कार्य चल रहा है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण की आवश्यकता है। इसी आवश्यकता को पूरा करने के लिए औराई और कटरा इलाके में बांध निर्माण के कार्य में रुकावट आ रही थी काफी हद तक इस प्रक्रिया को पूरा भी कर लिया गया है लेकिन बांध के अंदर जमीन कमाने वाले इलाके के लोग बसने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन करते रहे हैं।
सी बीच रुन्नीसैदपुर कार्यपालक अभियंता की ओर से गंगिया के 405 लोगों के नाम से एक आम सूचना जारी किया गया और सूचना में कहा गया कि बिहार रैयती लीज नीति के तहत बागमती तटबंध के बीच परने वाले मुजफ्फरपुर जिले में गंगिया उर्फ परमानंदपुर गांव की 9.48 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाना अपेक्षित है। इसलिए सूचना प्रकाशन की तिथि से 15 दिन के अंदर अपने भूमि देने के लिए सहमति या आपत्ति आवेदन पत्र कार्यालय अभियंता के कार्यालय को समर्पित करें।
इस सूचना पर गांव के अनेक लोगों ने आपत्ती जताया और इसी गांव के निवासी समाजवादी नेता और राष्ट्रीय जैविक खेती अभियान के अध्यक्ष कांति प्रकाश ने कहा की जिस लॉक डाउन है लोगों को घर से निकलना मुश्किल हो रहा है ऐसे में सरकार के आदेश को इस समय मानना संभव नहीं है। तथा गांव के ज्यादातर लोगों दूसरे अलग-अलग राज्यों में देशों में रह रहे हैं । ऐसे में उन्हें इस समय यहां पहुंचना संभव नहीं है जिसके कारण भी आदेश को मानना संभव नहीं है।
इससे पहले कटरा औराई और गाय घाट के 36 गांव के लोग आज के अनुसार सही तरीके से मुआवजा नहीं मिलने से परेशान हैं। जमीन अधिग्रहण योजना के तहत बागमती तटबंध के अंदर रह रहे लोगों को बांध के बाहर जमीन अधिग्रहण कर बसाया जाना है लेते हैं यह काम अभी तक शुरू भी नहीं हुआ है। जिन लोगों को अपना घर बांध के अंदर पड़ा है उन्हें अभी तक मुआवजा भी नहीं मिला है। बागमती परियोजना द्वारा बांध की ऊंचाई को बढ़ाने की मंजूरी सरकार ने दे दी है। इसके तहत नेपाल से सटे सीतामढ़ी जिले से बांध की ऊंचाई को अधिक बढ़ाने का काम किया जाना है। लेकिन 2007 की परियोजना अब तक इलाके के हजारों लोगों को ठंड होने के बावजूद भी नहीं मिल सका है ।
पहले मुआवजा देने का काम भू अर्जन विभाग द्वारा किया जाना था लेकिन 2018 मैं यह काम जिला भू अर्जन विभाग को सरकार ने दे दिया गया । इसके लिए अलग से विभाग को बागमती परियोजना का काम भी दिया गया है। अब तक इलाके के लोगों को इसका कोई विशेष लाभ नहीं हुआ है। उस समय मुजफ्फरपुर के तत्कालीन डीएम आलोक रंजन घोष ने 1 साल पहले टेंट लगाकर कटरा औराई और गायघाट इलाके में बांध के भीतर फंसे लोगों को मुआवजा देने के लिए आदेश दिया था लेकिन अभी तक यह आदेश फाइलों में ही अटका हुआ है। जिससे वहां से लोगों को परेशानियां झेलना पड़ रहा है।
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