अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त प्रोफेसर डॉ0 विश्वनाथ मौर्य के रिश्वत न देने पर राजीव गांधी विश्वविद्यालय के भ्रष्ट वीसी साकेत कुशवाहा ने उन्हें अयोग्य ठहराया । ।

ईटानगर , हाल ही में राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) के प्रोफेसर नियुक्ति को लेकर रिश्वतखोर - भ्रष्ट कुलपति साकेत कुशवाहा (Saket Kushwaha) का विवादित प्रकरण विगत सप्ताह से सोशल मीडिया पर वायरल होने से चर्चा का विषय बना हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त प्रोफेसर डॉ. विश्व नाथ मौर्य (Dr. Vishwa Nath Maurya) ने गम्भीर प्रश्न उठाया है कि क्या राजीव गांधी विश्वविद्यालय (ईटानगर) वहाँ के भ्रष्ट वीसी साकेत कुशवाहा के बाप की संस्था है जहाँ रिश्वत देने पर ही प्रोफेसर की नियुक्ति हो सकता है? उन्होंने इस पर भी सवाल उठाया है कि क्या राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर का भ्रष्ट कुलपति योग्यताधारी अभ्यर्थी से रिश्वत न पाने पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली के सभी मानकों को ताख पर रखते हुए अपने मनमाने ढंग से योग्य अभ्यर्थी के अकैडमिक परफॉर्मेंस इंडेक्स स्कोर (API Score) को भी शून्य दर्शाकर उसे अयोग्य ठहरा सकता है? बता दें कि डॉ. विश्व नाथ मौर्य एक अभ्यर्थी के तौर पर
सम्बंधित प्रकरण में भ्रष्टाचार से जुड़े ऎसे कई सवालों के जवाब आर. टी. आई. के तहत यूजीसी, नई दिल्ली और आरजीयू ईटानगर से माँग सकते हैं। 
उल्लेखनीय है कि आमतौर पर कुछ लोगों का यह विश्वास होता है कि उच्च शिक्षा क्षेत्र में देश के कुछेक प्रतिष्ठित संस्थानों में रिक्त पदों पर अभ्यर्थियों का चयन निष्पक्ष ही होता है किन्तु ऎसा बिल्कुल ही नहीं है। सीमांत भ्रष्टाचार के वास्तविकता की जानकारी न होने के कारण उन्हें ऎसा भ्रम है। उनका भी यह भ्रम दूर हो जायेगा जब राजीव गांधी विश्वविद्यालय, ईटानगर के प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पदों के चयन के लिए अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त प्रोफेसर डॉ0 विश्व नाथ मौर्य (Dr. Vishwa Nath Maurya) को वहाँ के भ्रष्ट कुलपति साकेत कुशवाहा (Saket Kushwaha) को रिश्वत के रूप में मोटी रकम न देने के कारण हाल ही में जबरन शून्य एपीआई स्कोर देकर अयोग्य ठहराते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर के भ्रष्ट कुलपति साकेत कुशवाहा ने डॉ0 विश्व नाथ मौर्य से रिश्वत न पाने के कारण अपने पद का दुरुपयोग करते हुए उन्हें पूरी तरह से उक्त तीनो पदों के लिए अयोग्य ठहरा दिया है। जबकि इसके पहले डॉ0 विश्व नाथ मौर्य को उनकी शैक्षिक योग्यता, अनुभव और सैकड़ों प्रकाशित शोधपत्रों एवं पुस्तकों की गुणवत्ता को दृष्टिगत रखते हुए भिन्न-भिन्न अकैडमिक पोस्ट के लिए आईआईटी खड़गपुर , आईआईएम रोहतक, नीटी मुम्बई, इंडियन स्कूल ऑफ माइंस धनबाद, केन्द्रीय एवं राज्य विश्वविद्यालयों से 50 से अधिक कॉल लेटर प्राप्त हो चुके हैं। आज से 11 साल पहले 2010-2012 में ही डॉ. विश्व नाथ मौर्य को उत्कल विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से गणित एवं सांख्यिकी विषय में प्रोफेसर पद के लिए कॉल लेटर प्राप्त हो चुका है जिस समय उनका एपीआई स्कोर करीब 650 वर्तमान के एपीआई स्कोर का आधा ही था। परन्तु आश्चर्य तब होता है कि जब 10 साल बाद 2021 में उनका अनुभव और एपीआई स्कोर दोनों बढ़ने के बावजूद उन्हें राजीव गांधी विश्वविद्यालय, ईटानगर के भ्रष्ट कुलपति साकेत कुशवाहा (Saket Kushwaha) को रिश्वत न देने पर उनके एपीआई स्कोर को ही शून्य दर्शाकर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। 
गौरतलब है कि प्रोफेसर डॉ. विश्व नाथ मौर्य के साथ देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित केन्द्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों के ख्यातिप्राप्त प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष, डीन, डायरेक्टर एवं कुलपति शोधपत्र प्रकाशित किए हैं जिनमें स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क (साउथ कोरिया) के निवर्तमान प्रोफेसर एवं अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ. राम बिलास मिश्रा (Dr. Ram Bilas Misra) और दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. सी. के. जग्गी (Dr. C.K. Jaggi), पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के नेशनल प्रोफेसर एवं इंडियन नेशनल साईंस अकैडमी नई दिल्ली के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बिजय सिंह (Professor Dr. Bijay Singh) समेत कई विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर शामिल हैं जो डॉ. मौर्य के रेफरी भी रहे हैं। इतना ही नहीं अपितु डॉ. विश्व नाथ मौर्य ने देश - विदेश के कई विश्वविद्यालयों एवं तकनीकी संस्थानों में प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष, डीन, डायरेक्टर, प्रधान परीक्षक एवं परीक्षा नियंत्रक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर 20 साल से अधिक सेवा किया है। प्रो. विश्व नाथ मौर्य को शिक्षा एवं शोध क्षेत्र में उनके विशिष्ट उपलब्धियों के लिए भारत गौरव, राष्ट्रीय शिक्षा रत्न, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक्सीलेंस अवार्ड, कोहिनूर पर्सनालिटीज ऑफ द ईयर अवार्ड, एशिया- पैसेफिक हूज हू अचीवमेंट अवार्ड समेत दर्जनों पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। विश्व के चुनिंदा संस्थाओं IEEE, IRED (USA) और WASET (Italy) के द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में अपने शोधपत्रों को प्रस्तुत करने के अलावा स्पीकर, चेयर और रिसर्च एवं टेक्निकल प्रोग्राम कमेटी के मेंबर के रूप में भी प्रो. मौर्य ने विशेष योगदान दिया है। 
शिक्षा और शोध क्षेत्र के अलावा सामाजिक क्षेत्र में भी प्रो. विश्व नाथ मौर्य (Prof. Vishwa Nath Maurya) का योगदान रहा है। पारम्परिक अंधविश्वास, सामाजिक उत्थान और जागरूकता एवं भ्रष्टाचार नियंत्रण से सम्बंधित उनके सैकड़ों लेख भिन्न-भिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुके हैं। तीब्रगति से बढ़ते भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने में डॉ. विश्व नाथ मौर्य कभी पीछे नहीं रहे। उनके अपने मानवीय विचार, वैज्ञानिक चिंतन और प्रकाशित लेखों आदि के जरिए सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए यथासम्भव प्रयास किया जाता रहा है। समाज के लोगों को शिक्षा और विज्ञान से जोड़ने और उन्हें जागरूक करने के लिए प्रो. मौर्य सदैव तत्पर रहते हैं। किंतु नितान्त अफ़सोस तब होता है कि जब उनके ये सभी विशिष्ट गुण राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर के भ्रष्ट वीसी को रिश्वत न देने के आगे फीके पड़ गए और उन्हें सभी पदों के लिए अयोग्य ठहराते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। 
इससे भी ज्यादा चौकाने वाला तथ्य यह है कि 15 साल पहले इसी भ्रष्टाचारी कुलपति की माँ के दाह - संस्कार और तेरहवी में  संवेदना व्यक्त करने बस्ती/लखनऊ निवासी प्रो. विश्व नाथ मौर्य हरियाणा से बनारस पहुँचे थे, उस समय वह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हरियाणा कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट में गणित विभाग में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष पद पर सेवारत थे। और, इतना ही नहीं, जब साकेत कुशवाहा के पिता सुरेन्द्र कुशवाहा (Surendra Kushwaha) को बसपा सरकार के कार्यकाल में काशी विद्यापीठ से टेन्योर पूरा होने के पहले कुलपति पद से हटाया गया था तब भी प्रो. मौर्य संवेदना व्यक्त करने के लिए उपस्थित हुए थे। किंतु अब रिश्वत न दे पाने के कारण डॉ. विश्व नाथ मौर्य के इंसानियत को भी ताख पर रखते हुए उन्हें अयोग्य ठहराकर प्रोफेसर पद के चयन से बाहर कर दिया गया। डॉ. मौर्य का कहना है कि ऎसे व्यक्ति से उनके विरुद्ध इतना अधिक गद्दारी करने की अपेक्षा नहीं थी। हाँ, थोड़ी-बहुत आशंका पहले से जरूर थी क्योंकि 2012 - 13 में बीएचयू वाराणसी के रिक्त प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर (गणित एवं सांख्यिकी) पद के आवेदन/नियुक्ति में साकेत कुशवाहा ने अपनी निम्नकोटि की मानसिकता के कारण अप्रत्याशित /अवाँक्षित गतिविधियों से आशंका उत्पन्न कर दिया था। किन्तु अब यहाँ सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर भ्रष्ट कुलपति साकेत कुशवाहा या उनके बाप की संस्था है जहाँ रिश्वत न देने पर उन्हें सभी पदों के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सभी मानकों को ताख पर रखते हुए मनमाने ढंग से अयोग्य घोषित कर दिया गया? उनका व्यक्तिगत मानना है कि राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर जैसे प्रतिष्ठित सरकारी संस्थान में देश का हर कोई योग्य व्यक्ति आवेदन कर सकता है भले ही वह अभ्यर्थी वहाँ के कुलपति या उनके किसी परिवार का पहले से कितना भी प्रबल विरोधी अथवा प्रतिद्वंदी ही क्यों न रहा हो। अतएव इसी सोच- विचारधारा के साथ डॉ. विश्व नाथ मौर्य ने अन्य अभ्यर्थियों की भांति ही आवेदन किया था। दूसरी मुख्य बात यह कि अभी तक देश के आईआईटी, आईआईएम एवं केन्द्रीय विश्वविद्यालय समेत किसी सरकारी संस्थान के द्वारा डॉ. विश्व नाथ मौर्य की शैक्षिक योग्यता, अनुभव और शोधपत्र के गुणवत्ता पर कोई प्रश्नचिन्ह लगाकर अथवा जीरो एपीआई स्कोर दर्शाकर किसी भी अकैडमिक या नान-अकैडमिक पोस्ट के लिए अयोग्य नहीं घोषित किया गया है ,किंतु हाल ही में राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर के भ्रष्ट वीसी साकेत कुशवाहा (Saket Kushwaha) ने डॉ. विश्व नाथ मौर्य को रिश्वत न पाने के कारण अपने पद का दुरुपयोग करते हुए जबरन अयोग्य ठहरा दिया । जो उनके विरोध और प्रतिक्रिया व्यक्त करने का सबसे बड़ा कारण है। यदि डॉ. मौर्य के शिकायत/अपील को दर किनार करते हुए भ्रस्ट वीसी साकेत कुशवाहा ने चयन प्रक्रिया में तानाशाही दिखाने की कोशिश किया तो डॉ. विश्व नाथ मौर्य उक्त सम्बंधित प्रकरण में भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, शैक्षणिक मानहानि और मानसिक उत्पीड़न के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अविलम्ब याचिका दायर करेंगे क्योंकि वह भ्रस्टाचार और रिश्वतखोरी के खिलाफ हैं, इसके पहले भी जब कभी जरूरत पड़ी, उन्होंने खुलकर भ्रष्टाचारियों, रिश्वतखोरों और शिक्षा माफियाओं आदि सभी का भरपूर विरोध किया और उन्हें जीवन पर्यन्त का सबक भी सिखाया जिनका विरोध करने के लिए सामान्यतः आज तक कोई व्यक्ति हिम्मत नहीं जुटा पाया। मुख्य रूप से भ्रष्टाचारियों और शिक्षा माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाने के कारण ही डॉ. मौर्य को देश - विदेश के कई संस्थानों में प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष, डीन, डायरेक्टर की नौकरी करनी पड़ी और उनकी सर्विस स्टेबिलिटी में कुछ समस्या आई।
बता दें कि साकेत कुशवाहा के भ्रष्टाचार, दुर्व्यवहार, बयान और तानाशाही - हिटलरशाही कार्यशैली को लेकर इसके पहले भी कई बार बवाल और उपद्रव हुआ है और मिथिला विश्वविद्यालय (बिहार) में भारी संख्या में छात्रों द्वारा पूर्व में कुलपति रहे साकेत कुशवाहा का भरपूर विरोध के साथ पुतला भी फूंका गया था जिसे भ्रष्ट और तानाशाह वीसी साकेत कुशवाहा ने अपने पालतू गुंडों और चाटुकारों की सहायता से दमन कर दिया था। अतएव डॉ. विश्व नाथ मौर्य को भी पूर्ण अंदेशा है कि साकेत कुशवाहा साजिश के तहत अपने शातिर चाल से भविष्य में उन्हें भी कोई अपूर्तिनीय छति पहुँचा सकता है।
                            संवाददाता :- प्रेम शंकर कुमार

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