प्रोफेसर डॉ. विश्व नाथ मौर्य के द्वारा निरंतर माँग किए जाने के एक माह बाद भी राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर के रिश्वतखोर-भ्रस्ट वीसी साकेत कुशवाहा के बर्खास्तगी और गिरफ्तारी के मामले में केन्द्र सरकार की खामोशी उच्च शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टतंत्र को बढ़ावा देने का जीवंत प्रमाण है।

भारत गौरव, राष्ट्रीय शिक्षा रत्न और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक्सीलेंस अवार्ड समेत दर्जनों विशिष्ट पुरस्कार से सम्मानित अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रोफेसर डॉ. विश्व नाथ मौर्य के द्वारा निरंतर माँग किए जाने के एक माह बाद भी राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर के रिश्वतखोर-भ्रस्ट वीसी साकेत कुशवाहा के बर्खास्तगी और गिरफ्तारी के मामले में केन्द्र सरकार की खामोशी उच्च शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टतंत्र को बढ़ावा देने का जीवंत प्रमाण है। ऎसी बेहद चिंताजनक स्थिति में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किए जाने से ही समाधान सम्भव है।
गौरतलब है कि शिक्षा जगत एवं अनुसंधान के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गणितज्ञ एवं सांख्यिकीविद् के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त प्रोफेसर डॉ. विश्व नाथ मौर्य विशेषकर भ्रष्टाचार, धांधली और रिश्वतखोरी के खिलाफ आवाज उठाने में सदैव अग्रणी भूमिका निभाने के कारण सोशल मीडिया, डिजिटल मीडिया और प्रिंट मीडिया में बहुचर्चित व्यक्तियों में से प्रमुख माने जाते हैं। इतना ही नहीं अपितु लोकप्रिय कार्यों में राजनैतिक गतिविधियों को लेकर भी सक्रिय योगदान के लिए प्रो. विश्व नाथ मौर्य (Prof. Vishwa Nath Maurya) की चर्चा पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से होती रहती है।
धार्मिक पाखंडवाद एवं अंधविश्वास के कट्टर विरोधी होने के कारण प्रो. मौर्य के लेख जनमानस को शिक्षित एवं जागरूक करने के उद्देश्य से भिन्न-भिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भारी संख्या में प्रकाशित हो चुके हैं। 
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में भी उच्च शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय पटल पर उपलब्धि हासिल करना विशेषकर पिछड़े वर्ग के शिक्षित लोगों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है। यही मुख्य कारण है कि देश में 85 फीसदी आबादी वाले पिछड़े वर्ग के कुछेक गिनेचुने लोग ही उच्च शिक्षा और गुणवत्तापूर्ण शोध के क्षेत्र में अग्रणी हो सके हैं। जैसा कि आम तौर पर माना जाता है कि किसी व्यक्ति को सफलता कठिन परिश्रम और लगन से हासिल होती है या फिर विरासत अथवा सियासत के दूसरे विकल्पों के जरिए मिलती है। फिलहाल, तीब्रगति से बढ़ते भ्रष्टाचार के परिप्रेक्ष्य में विरासत और सियासत के जरिए उपलब्धि हासिल करने वाले सफल लोगों की संख्या अपेक्षाकृत कहीं ज्यादा ही होती है। जबकि वहीं ईमानदारी, लगन और कठिन परिश्रम से उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने वाले लोगों की संख्या नगण्य के बराबर ही होती है क्योंकि ऎसे लोगों के सफलता में घातक, बाधक और विदूषक की अग्रणी भूमिका निभाने वालों में मुख्य रूप से विरासत या सियासत के जरिए जीरो से हीरो बनने वाले सफल लोग ही होते हैं। इस संदर्भ में कुछ हद तक वस्तुस्थिति को सहजता से समझने के लिए उप्र के लखनऊ निवासी प्रोफेसर डॉ. विश्व नाथ मौर्य और वाराणसी निवासी डॉ. साकेत कुशवाहा के कुछेक उपलब्धियों, गतिविधियों, मतभेदों और टकरावों का संक्षिप्त उल्लेख किया गया है।
प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले डॉ. विश्व नाथ मौर्य सदैव मेधावी छात्र के रूप में स्कूल स्तर से लेकर तहसील और जिला स्तर पर छात्रवृत्ति परीक्षा और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं को उत्तीर्ण करके भिन्न-भिन्न छोटे-बड़े पुरस्कार जीतकर अपने विद्यार्थी जीवन के शुरुआती दौर में अपनी एक ख़ास पहचान बनाया और छात्रों एवं अध्यापकों के बीच लोकप्रियता हासिल किया। उन्होने 1990 के दशक में डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद से गणित एवं सांख्यिकी के तत्कालीन विभागाध्यक्ष और कार्यवाहक कुलपति प्रो. एस. एन. सिंह के निर्देशन में विज्ञान के कठिनतम विषय गणित एवं सांख्यिकी में एम.एस-सी और पी-एच.डी. की उपाधि न केवल प्रथम श्रेणी में प्राप्त किया बल्कि जातिवाद के शिकार होने के कारण उनका नाम गोल्ड मेडल के स्थान पर सिल्वर मेडल की श्रेणी में रखा गया। पीएचडी करने के उपरांत उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद के गणित एवं सांख्यिकी के तत्कालीन विभागाध्यक्ष प्रो. एस. एन. सिंह के समकालीन वहाँ के कुलपति रह चुके विश्वविख्यात गणित के प्रोफेसर डॉ. राम बिलास मिश्र के साथ देश - विदेश के कई प्रतिष्ठित जर्नल में भारी संख्या में उत्कृष्ट शोधपत्रों का प्रकाशन किया। कैलिफोर्निया (यूएसए) के न्यूपोर्ट यूनिवर्सिटी से अपने बीएससी और एमएससी डिग्रियों की भाँति कम्पूटर सांइस में स्पेशलाईजेशन के साथ एमबीए भी प्रथम श्रेणी में ही उन्होंने उत्तीर्ण किया और सन् 2001 में छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में डीएससी (डॉक्टर ऑफ साइंस) के लिए रजिस्ट्रेशन कराया किन्तु विश्वविद्यालय के कतिपय अनियमितताओं और विसंगतियों के कारण अवरोध उत्पन्न होने की परिस्थिति में उनकी डी.एस-सी थेसिस फिजी विश्वविद्यालय, फिजी में गणित एवं सांख्यिकी के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष रहते हुए जर्मनी के स्कॉलर्स प्रेस इंटरनेशनल पब्लिकेशन्स में सन् 2013 में प्रकाशित किया गया। मई - 2015 में कॉपरस्टोन विश्वविद्यालय, जाम्बिया (साउथ अफ्रीका) के साइंस एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर एवं डीन के पद पर उनकी नियुक्ति के पहले सन् 2009 में डॉ. विश्व नाथ मौर्य को एकेटीयू लखनऊ (उ.प्र. प्राविधिक विश्वविद्यालय) और राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा से संबद्ध तकनीकी शिक्षण संस्थानों में प्रिंसिपल, डायरेक्टर भी नियुक्त किया गया और उसके पूर्व उन्हें छत्रपति साहूजी कानपुर विश्वविद्यालय एवं उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ के केंद्रीय मूल्यांकन का कई बार प्रधान परीक्षक भी नियुक्त किया गया। यूजीसी के फर्स्ट कैटेगरी एवं NAAC द्वारा A++ ग्रेड के. एल. विश्वविद्यालय, आंध्रप्रदेश और सिंहानिया विश्वविद्यालय, राजस्थान एवं ओरिएंटल विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश समेत देश - विदेश के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में डॉ. विश्व नाथ मौर्य (Dr. Vishwa Nath Maurya) ने प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष, परीक्षा नियंत्रक, डीन और डायरेक्टर के रूप में करीब 22 वर्ष से अधिक सेवा किया है और विश्व के यूएसए, फ्रांस, जर्मनी, जापान, न्यूजीलैंड, इटली, मलेशिया, आस्ट्रिया, अल्जीरिया, नाइजीरिया और भारत समेत कई देशों के प्रतिष्ठित जर्नल में में उनके सैकड़ों उत्कृष्ट शोधपत्र, लेख और पुस्तकें प्रकाशित किए जा चुके हैं। प्रो. मौर्य विगत आठ वर्षों से यूएसए एवं अन्य देशों के गणित, सांख्यिकी और कम्प्यूटर सांइस विषय के कई प्रतिष्ठित पीर रिव्यूड जर्नल के एडिटर इन चीफ भी रहे हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च इंजीनियर्स एंड डॉक्टर्स (IRED) यूएसए, अंतर्राष्ट्रीय मान्यता संगठन होस्टन (IAO, Houston), वर्ल्ड अकैडमी ऑफ साइंस, इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (WASET) इटली और IEEE समेत विश्व के कई प्रतिष्ठित संस्थाओं के विषय विशेषज्ञ के रूप में तकनीकी सलाहकार एवं रिसर्च कमेटी मेम्बर भी रहे हैं। 

शिक्षा जगत एवं शोध के क्षेत्र में विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त प्रोफेसर डॉ. विश्व नाथ मौर्य (Dr. Vishwa Nath Maurya) को देश - विदेश के भिन्न-भिन्न संस्थानों से उनके उत्कृष्ट शोधकार्यों और उल्लेखनीय शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए भारत गौरव, राष्ट्रीय शिक्षा रत्न, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक्सीलेंस अवार्ड, कोहिनूर पर्सनालिटीज ऑफ एशिया अवार्ड, एशियन - अमेरिकन हूज हू अचीवमेंट, इन्टीलेक्टुअल पर्सनालिटीज ऑफ द ईयर, लाइफटाईम इंटरनेशनल अचीवमेंट अवार्ड और भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अवार्ड समेत कई दर्जनों पुरस्‍कारों से सम्मानित किया गया है। देश - विदेश के भारी संख्या में शोष कर रहे छात्र, प्रोफेसर और वैज्ञानिकों ने प्रो. विश्व नाथ मौर्य के प्रकाशित शोधपत्रों का उद्धरण किया है और उनके शोधकार्य को और आगे बढ़ाया है जिसे गूगल पर सर्च किया जा सकता है। इसीलिए शिक्षा जगत एवं अनुसंधान के क्षेत्र में प्रोफेसर डॉ. विश्व नाथ मौर्य (Prof. Vishwa Nath Maurya) की पहचान विश्वविख्यात गणितज्ञो एवं सांख्यिकीविदों में की जाती है। इतना ही नहीं अपितु प्रो. मौर्य को सामाजिक एवं राजनैतिक क्षेत्र में भी एक प्रखर बुद्धिजीवी के रूप में विशेषकर धार्मिक अंधविश्वास, पाखंडवाद, जातिवाद और भ्रस्टाचार के खिलाफ उनके मुखर प्रतिक्रियाओं और गतिविधियों के लिए जाना जाता है। धांधली, रिश्वतखोरी और भ्रस्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों में प्रो. विश्व नाथ मौर्य की सदैव अग्रणी भूमिका रही है और अब तक उन्होने भ्रष्टाचार से जुड़े कई मुद्दों को लेकर भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों और शिक्षा माफियाओं के खिलाफ ज़ोर शोर के साथ गतिरोध व्यक्त करके शिकस्त दिया है जिसके कारण समाज में उनके सक्रिय विरोधियों की भी संख्या कम नहीं है जिसमें भ्रष्टाचार के आरोपी राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर के रिश्वतखोर - भ्रष्ट कुलपति डॉ. साकेत कुशवाहा (Dr. Saket Kushwaha) भी उनके प्रबल विरोधियों की सूची में शामिल हो गए हैं। 
उक्त क्रम में आपको बता दें कि विगत पाँच वर्षों से सीमांत धांधली, रिश्वतखोरी और भ्रस्टाचार में संलिप्त वाराणसी निवासी डॉ. साकेत कुशवाहा (Dr. Saket Kushwaha) का नाम सोशल मीडिया, डिजिटल मीडिया और प्रिंट मीडिया के भिन्न-भिन्न समाचार पत्रों में चर्चा का विषय बना हुआ है। कई वर्ष पहले से भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे साकेत कुशवाहा को संघी होने के कारण विरासत एवं सियासत के जरिए कथित तौर पर जीरो से हीरो बनने का मौका मिला जिसके तहत साकेत कुशवाहा को संघ समर्थित भाजपा सरकार में अक्टूबर 2018 में राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर का पाँच वर्ष के अवधि के लिए वीसी नियुक्त किया गया था जहाँ प्रोफेसर नियुक्ति को लेकर साकेत कुशवाहा रिश्वतखोरी, धांधली और भ्रस्टाचार के आरोपों में फँसे हुए हैं। यहाँ उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि इसके पहले बिहार में भाजपा समर्थित नीतीश कुमार की सरकार में 2014 में साकेत कुशवाहा को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा का कुलपति नियुक्त किया गया था जहाँ 2014 से लेकर 2016 तक लगातार भ्रस्टाचार, धांधली, रिश्वतखोरी में साकेत कुशवाहा के लिप्त होने और उसके तानाशाही रवैये एवं विवादित बयानों के कारण विश्वविद्यालय तथा उससे संबद्ध कॉलेजों के छात्रों एवं कर्मचारियों के अलग - अलग संगठनों ने साकेत कुशवाहा का अर्थी जुलूस निकालकर जगह- जगह पर उसका पुतला फूँक कर रोषपूर्ण प्रदर्शन किया था और पद छोड़कर वापस चले जाने की पुरजोर माँग भी किया था किंतु हैरतपूर्ण है कि विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों के संगठनों द्वारा बार-बार पुतला फूँककर प्रबल विरोध प्रदर्शन किए जाने के बावजूद भी शासन- प्रशासन द्वारा भ्रष्ट वीसी साकेत कुशवाहा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी। इतना ही नहीं बल्कि निरंतर भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी रहे साकेत कुशवाहा के बढ़ते विरोध को देखकर संघ समर्थित भाजपा सरकार ने साकेत कुशवाहा को अक्टूबर 2018 में राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर का पुनः कुलपति नियुक्त करके भ्रष्टतन्त्र को और अधिक बढ़ावा देने का कार्य किया है जो शर्मसार करने वाली घटना है। भ्रष्टाचार के आरोपी साकेत कुशवाहा के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई न होने के बजाय सरकार की ओर से प्रोत्साहित किए जाने से वह राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर में भी बतौर कुलपति अपने पद का दुरुपयोग करके भ्रष्टाचार, धांधली और रिश्वतखोरी में सीमांत डूबा हुआ है। वर्तमान में आलम यह है कि भ्रष्ट वीसी साकेत कुशवाहा ने हाल ही में रिक्त प्रोफेसर पदों की नियुक्ति में यूजीसी के मानकों को ताख पर रखते हुए रिश्वत न पाने के कारण ईर्ष्या, द्वेष और प्रतिशोध की गलत मंशा से गणित एवं सांख्यिकी के प्रोफेसर नियुक्ति के लिए विश्वविख्यात प्रोफेसर डॉ.  विश्व नाथ मौर्य को मनमाने ढंग से जीरो एपीआई स्कोर देकर अयोग्य ठहराने का न केवल अपने कुत्सित मानसिकता का परिचय दिया है बल्कि राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर से लेकर समाज के गली - गली में अपनी घोर आलोचना के पात्र बने हुए हैं जिससे राजीव गांधी विश्वविद्यालय की भी बहुत किरकिरी हो रही है। इसके बावजूद भी प्रो. मौर्य द्वारा भ्रस्ट वीसी साकेत कुशवाहा के बर्खास्तगी एवं गिरफ्तारी के माँग पर केन्द्र सरकार पूरी तरह खामोश है जो बेहद चिंताजनक है। अतएव, उचित न्याय पाने एवं ठोस कार्रवाई के लिए प्रो. विश्व नाथ मौर्य राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर के भ्रष्ट वीसी साकेत कुशवाहा के खिलाफ जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं। 
सांख्यिकीविद् प्रो. विश्व नाथ मौर्य (Prof. Vishwa Nath Maurya) ने विगत 22 वर्षों के व्यवहारिक अनुभव को शेयर करते हुए कहा कि बहुजन समाज के पिछड़े वर्ग का साकेत कुशवाहा (Saket Kushwaha) स्वयं और अपने पिता सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा (Surendra Singh Kushwaha) के संघी मानसिकता के चलते बहुजन समाज के किसी व्यक्ति विशेष के शिक्षा क्षेत्र में बढ़ते विकास को कदापि हजम नहीं कर सकता है।रिश्वतखोरी के हवस में नैतिकता का सीमांत पतन होने के कारण साकेत कुशवाहा एक दानव बनकर अधिकाधिक शैक्षणिक हानि पहुँचाने में पूर्णतः लिप्त है। उसका इतना अधिक नैतिक, सामाजिक और शैक्षिक पतन हो गया है कि वह और उसका परिवार अपने विकृत सोच-विचारधारा के कारण विशेषकर बहुजन समाज के किसी दूसरे व्यक्ति के शैक्षिक, बौद्धिक, सामाजिक या आर्थिक विकास को नहीं देखना चाहता है बल्कि उल्टे उसके विकास में बाधक, घातक और विदूषक बनकर शातिराना ढंग से अपनी नीचता और तुच्छता की हदें पार करके अधिकाधिक हानि पहुँचाने और टाँग खींचने के फेरहिस्त में सक्रिय रहता है जो समाज के लिए अभिशाप साबित होने के कारण नितांत चिन्ता का विषय बना हुआ है।
                          संवाददाता, प्रेमशंकर

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