गौरतलब है कि राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) में प्रोफेसर नियुक्ति को लेकर भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और धांधली में लिप्त भ्रष्ट वीसी साकेत कुशवाहा की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी की मांग जोरो पर है। बता दें कि यह कोई पहला वाकया नहीं है कि अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रोफेसर डॉ0 विश्व नाथ मौर्य (Dr. Vishwa Nath Maurya) ने आरजीयू के सबसे ज्यादा भ्रष्ट कुलपति साकेत कुशवाहा (The most currupt VC Saket Kushwaha) के सीमांत धांधली, रिश्वतखोरी और भ्रस्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हुए उसके बर्खास्तगी और गिरफ्तारी के लिए केन्द्र सरकार से मांग किया है । अपितु विगत वर्षों में भी बिहार के मिथिला विश्वविद्यालय में भी इसके कार्यकाल में भ्रस्टाचार, धांधली, तानाशाही और गलत बयानबाजी के खिलाफ विश्वविद्यालय के हजारों छात्रों और कर्मचारियों के भिन्न-भिन्न संगठनों ने इसका जगह- जगह पुतला फूँककर रोषपूर्ण विरोध प्रदर्शन करते हुए शासन - प्रशासन से इसके खिलाफ ठोस कार्रवाई किए जाने के लिए आवाज उठाया था परन्तु बेहद विडम्बनापूर्ण है कि भाजपा शासित नीतीश सरकार ने साकेत कुशवाहा के संघी दलाल होने के चलते उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं किया। वैसे भी यह बात सर्वविदित है कि बिहार में नीतीश सरकार के मंत्रीमंडल में अभी हाल ही में भ्रस्टाचार के मामले में फंसे मेवालाल चौधरी को शिक्षामंत्री बनाये जाने पर बवाल होने से जनता के दबाव में आकर त्यागपत्र देना पड़ा था। अतएव, भाजपा समर्थित नीतीश सरकार में जब शिक्षामंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद के लिए भ्रस्टाचार के आरोपी नेता को चुना जा सकता है तो मिथिला विश्वविद्यालय के वीसी बनाए जाने के लिए साकेत कुशवाहा जैसे संघी भ्रष्टाचारियों और रिश्वतखोरों की नियुक्ति में क्या गुरेज है? बता दें कि मिथिला विश्वविद्यालय में भ्रस्ट कुलपति साकेत कुशवाहा के कार्यकाल में उसके तानाशाही कार्यशैली, भ्रस्टाचार और अपवादित बयानबाजी के लिए उसके खिलाफ हजारों छात्रों और कर्मचारियों ने मिलकर कई बार धरना प्रदर्शन करके उसका पुतला फूँककर उसको पद से इस्तीफा देने के लिए निरन्तर मांग करते रहे किन्तु संघ - भाजपा के नेताओं के मिलीभगत के चलते बार-बार आवाज उठाए जाने के बावजूद भी उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गयी।
उप्र के लखनऊ निवासी प्रोफेसर डॉ0 विश्व नाथ मौर्य ने आपत्ति जताते हुए कहा कि साकेत कुशवाहा जैसे संघी भ्रष्टाचारी को जेल में होना चाहिए न कि उसको राजीव गांधी विश्वविद्यालय, ईटानगर जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी धांधली और तानाशाही के लिए कुलपति नियुक्त करके खुला छूट दिया जाना चाहिए। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नितांत विडम्बनापूर्ण है कि वर्तमान में केन्द्र एवं अरुणाचल प्रदेश में भाजपा शासन की साठगांठ के चलते मिथिला विश्वविद्यालय के सबसे भ्रष्ट वीसी रह चुके साकेत कुशवाहा को पुनः अक्टूबर 2018 में उसे राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर का कुलपति नियुक्त कर दिया गया जहाँ वह बेलगाम होकर खूलेआम भ्रस्टाचार, रिश्वतखोरी और धांधली में लिप्त होकर तानाशाही का रौब जमा रहा है और प्रोफेसर की नियुक्ति में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पर्याप्त योग्यता और गुणवत्ता धारी अभ्यर्थियों के साथ रिश्वत न पाने के कारण उनके साथ घोर अन्याय और पक्षपातपूर्ण व्यवहार कर रहा है। यही मुख्य कारण है कि बिहार के मिथिला विश्वविद्यालय के तरह ही आरर्जीयू ईटानगर में भी आये दिन भिन्न-भिन्न अनियमितताओं और विसंगतियों को लेकर बवाल मचा हुआ है। और, इतना ही नहीं, उसने भाजपा शासित उ.प्र. में भी अपने रसूख के बल पर अपनी बहन निर्मला एस. मौर्य (Nirmala S. Maurya) को पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर का कुलपति नियुक्त कराने में कामयाबी हासिल कर लिया। अतएव, कोई हैरत की बात नहीं है कि इस बावत में शिकायत करने के बावजूद भी उसके खिलाफ केन्द्र सरकार ने अभी तक कोई कार्यवाही करने से खामोशी क्यों दिखायी है?
उल्लेखनीय है कि फिजी विश्वविद्यालय (फिजी) में गणित एवं सांख्यिकी के विभागाध्यक्ष रह चुके प्रोफेसर डॉ0 विश्व नाथ मौर्य ने विगत माह में अरुणाचल प्रदेश के राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर के प्रोफेसर नियुक्ति में वहां के वर्तमान भ्रष्ट कुलपति साकेत कुशवाहा के धांधली और रिश्वतखोरी और उसके पद के दुरुपयोग के मामले का खुलासा पर्याप्त साक्ष्यों के साथ किया था। प्रो. मौर्य ने आरजीयू के भ्रष्ट वीसी साकेत कुशवाहा के बर्खास्तगी और गिरफ्तारी को लेकर केन्द्र सरकार से मांग किया है परंतु बहुत बड़ा सवाल उठता है कि भ्रस्टाचार, रिश्वतखोरी और धांधली में लिप्त साकेत कुशवाहा की सोशल मीडिया में इतना अधिक थू-थू होने होने और शासन - प्रशासन के संज्ञान में आने के बाद भी केन्द्र सरकार उसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने के लिए अभी तक खामोश क्यों है? आखिरकार उसके खिलाफ कार्रवाई होने से सरकार अनदेखी क्यों कर रही है?
बता दें कि यूजीसी के फर्स्ट कैटेगरी और NAAC A ++ ग्रेड के. एल. विश्वविद्यालय (आंध्रप्रदेश) समेत देश - विदेश के कई अन्य विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर,विभागाध्यक्ष, डीन और डायरेक्टर रह चुके डॉ. विश्व नाथ मौर्य (Professor Dr. Vishwa Nath Maurya) को विश्व के प्रतिष्ठित अनेकानेक अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में उनके प्रकाशित सैकड़ों शोधपत्रों एवं पुस्तकों के गुणवत्ता को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें भारत गौरव, राष्ट्रीय शिक्षा रत्न, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक्सीलेंस अवार्ड समेत दर्जनों राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। प्रो. मौर्य पी-एच.डी. और मास्टर्स डिग्री के लिए शोध छात्रों के सुपरवाइजर भी रहे हैं। अतएव, राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर का रिश्वतखोर - भ्रष्ट कुलपति साकेत कुशवाहा रिश्वत न पाने के कारण प्रो. मौर्य को जीरो एपीआई स्कोर देकर अयोग्य कैसे ठहरा सकता है? प्रो. मौर्य ने केन्द्र सरकार से आरजीयू के भ्रष्ट वीसी साकेत कुशवाहा के भ्रस्टाचार, रिश्वतखोरी, धांधली और पद के दुरुपयोग के खिलाफ कार्रवाई के तौर पर उसके बर्खास्तगी और गिरफ्तारी के लिए आवाज उठाया था परंतु संघी दलाल होने के कारण उसके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। भ्रस्टाचार से जुड़े उक्त मामले में आरोपी साकेत कुशवाहा के खिलाफ सरकार द्वारा की जाने वाली कार्रवाई के लिए प्रो. मौर्य अभी भी प्रतीक्षारत हैं। उन्हें आशा है कि जनहित में केन्द्र सरकार प्रश्नगत विवादित प्रकरण में भ्रस्ट वीसी साकेत कुशवाहा के बर्खास्तगी का निर्णय लेकर यह स्पष्ट करेगी कि सरकार भ्रष्टातंत्र को बढ़ावा देने के विरुद्ध है। फिलहाल, यदि केन्द्र सरकार उसके बर्खास्तगी में हीलाहवाली करते हुए जानबूझकर अनदेखी करती रहेगी तो विवशता में दूसरे विकल्प के तौर पर न्याय पाने के लिए प्रो. मौर्य सुप्रीम कोर्ट में भ्रस्ट वीसी साकेत कुशवाहा के खिलाफ याचिका दाखिल करेंगे।
संवाददाता :- प्रेम शंकर
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