जिलाधिकारी की अध्यक्षता में उनके कार्यालय कक्ष में चमकी बुखार पर प्रभावी नियंत्रण के मद्देनजर एक बैठक की गई।

 बैठक में एईएस कोर कमेटी समन्वय समिति से संबंधित स्वास्थ्य विभाग के एवं जिला प्रशासन के पदाधिकारी उपस्थित हुए।
 जिलाधिकारी द्वारा बारी-बारी से विभिन्न कोषांगों द्वारा अभी तक किए गए कार्यों की समीक्षा की गई। उनके द्वारा कहा गया कि बढ़ते तापमान के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के सभी पदाधिकारी अलर्ट मोड में रहे। हालांकि अभी तक के किए जा रहे कार्यों पर उन्होंने संतोष प्रकट किया।जिले के बच्चों के लाइन लिस्टिंग की सूची अभी तक उपलब्ध नहीं कराए जाने पर नाराजगी प्रकट करते हुए डीपीओ आईसीडीएस को फटकार लगाई और दो दिन के अंदर सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। उन्होंने डीपीओ आईसीडीएस को हिदायत दी कि केंद्र वार चिन्हित कुपोषित बच्चों का नियमित रूप से फॉलोअप करना सुनिश्चित किया जाए। आंगनवाड़ी सेविका /सहायिका आशा और जीविका दीदी दैनिक रूप से गृह भ्रमण का कार्य करना सुनिश्चित करें। इसमें किसी भी तरह की कोताही और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
 डीपीआरओ कमल सिंह ने बताया कि पंपलेट वितरण, दीवाल लेखन, होर्डिंग संस्थापन, नुक्कड़ नाटकों के द्वारा प्रचार प्रसार किया गया है वही दूरदर्शन और रेडियो के माध्यम से भी प्रचार किया जा रहा है। कहा कि आगे आने वाले दिनों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा हैंडविल वितरण का कार्य पुनः किया जाएगा।
  डीपीएम जीविका अनीशा को निर्देशित किया गया कि वे अपने स्तर से स्वयं सहायता समूह के माध्यम से सघन जागरूकता कार्यक्रम करना जारी रखें। डीपीएम जीविका द्वारा बताया गया कि निर्देशानुसार जीविका दीदियों द्वारा गांव और टोला स्तर पर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। 
 जिले के सभी शिक्षकों, आंगनवाडी सेविकाओं, आशा और जीविका दीदियों को जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से खत लिखेंगे। इस हेतु प्रारंभिक प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। 
जिलाधिकारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि एईएस/ चमकी बुखार पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के साथ सामुदायिक एफर्ट भी मायने रखता है।
 इस हेतु बैठक में रेड क्रॉस, नेहरू युवा केंद्र के प्रतिनिधि जिला परिषद अध्यक्ष और महापौर मुजफ्फरपुर भी उपस्थित थे। उनके द्वारा भी बहुमूल्य सुझाव दिए गए।
इस संबंध में केयर यूनिसेफ को भी निर्देशित किया गया कि परस्पर समन्वय के साथ प्रचार प्रसार तथा अन्य कार्यो को गंभीरतापूर्वक करना सुनिश्चित किया जाए ताकि एईएस को नियंत्रित करने में हम और अधिक सफल हो सके।
 बैठक में प्रशिक्षण एवं क्षमतावर्धन कोषांग, एंबुलेंस एवं गाड़ियों की उपलब्धता एवं वाहनों की टैगिंग,मूल्यांकन कोषांग तथा अन्य कोषांगों की भी समीक्षा की गई और आवश्यक निर्देश दिए ।
बैठक में निर्णय लिया गया कि जिले के सभी विकास मित्रों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारी संबोधित करेंगे। उन्होंने जिला कल्याण अधिकारी को निर्देशित किया कि कि वे अपने स्तर से भी प्रत्येक विकास मित्रो का उन्मुखीकरण करना सुनिश्चित करें ताकि विपरीत परिस्थिति में वे स्वयं तत्पर हो पेशेंट को त्वरित  निकट के अस्पताल पहुंचा सके।
 इवधर नोडल अधिकारी एईएस डॉ सतीश प्रसाद ने बताया कि एईएस पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर सारी तैयारियां मुकम्मल हैं। सभी आवश्यक दवाओं के साथ उपकरणों की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गई है। समय-समय पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण भी किया जा रहा है। गैप एनालिसिस देखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि पीकू में 100 बेड 40 बेड केजरीवाल में, सदर में 8 बेड और सभी प्रखंडों में  32 वर्ड विशेष तौर पर एईएस के लिये तैयार हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक दो केस आए हैं। एक केस पारु का अननोन एईएस के रूप में आया जिसमें पेशेंट ठीक होकर अपने घर पर हैं। दूसरा पेशेंट 2 वर्षीय  पारु का ही (नोन एईएस) बुखार लगने पर उसे पीएससी में लाया गया जहां पूरी तत्परता से प्रारंभिक इलाज करने के बाद उसे एसकेएमसीएच रेफर किया गया जहां वह अंडर कंट्रोल है। इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रखंडों से बुखार से पीड़ित लगभग एक दर्जन बच्चे स्थानीय पीएससी में बिना समय गवाएं लाए गए। जिनका त्वरित इलाज किया गया और वे ठीक होकर वापस घर भी चले । बैठक में नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय के साथ प्रशिक्षु आईएएस भी उपस्थित थे।
                     संवाददाता, प्रेमशंकर

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