ईटानगर , राजीव गांधी विवि भ्रष्ट - रिश्वतखोर वीसी साकेत कुशवाहा ने देश - विदेश के विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष डायरेक्टर रहे डॉ. विश्व नाथ मौर्य को अयोग्य ठहराया । गौरतलब है कि तीब्रगति से बढ़ते भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के दौर में राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) का कुलपति साकेत कुशवाहा भी अब पीछे नहीं रहा बल्कि वह सबसे अधिक भ्रष्ट और रिश्वतखोर निकला।
उल्लेखनीय है कि साकेत कुशवाहा रिश्वत के रूप में मोटी रकम न पाने के कारण देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों एवं तकनीकी संस्थानों में प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष, डीन और डायरेक्टर रह चुके प्रोफेसर डॉ0 विश्व नाथ मौर्य को प्रोफेसर ही नहीं अपितु असोसिएट प्रोफेसर एवं सहायक प्रोफेसर के लिए भी अयोग्य ठहरा दिया और विश्व स्तर पर अमेरिका, जर्मनी, जापान, इटली, न्यूजीलैंड, आस्ट्रिया, मलेशिया, नाइजीरिया इत्यादि अनेक देशों के अंतर्राष्ट्रीय जर्नल एवं ट्रिपल ई (EEE), वर्ल्ड अकैडमी ऑफ साइंस, इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (WASET) इटली और IRED, USA के कॉन्फ्रेंस प्रोसीडिंग में प्रकाशित सैकड़ों शोधपत्रों को ताख पर रखते हुए जीरो एपीआई स्कोर देकर अयोग्य ठहरा दिया है। डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण
बी. एस - सी, एम. एस-सी, एमबीए (यूएसए) एवं पी-एच. डी. (गणित एवं सांख्यिकी) के लिए भी डॉ. विश्व नाथ मौर्य को जीरो एपीआई स्कोर दिया गया है, इतना ही नहीं अपितु उनके द्वारा कराए गए पी-एच. डी. शोध निर्देशन के लिए भी जीरो एपीआई स्कोर ही दिया गया है। संदर्भित धांधली में बता दें कि राजीव गांधी विश्वविद्यालय के भ्रष्ट वीसी साकेत कुशवाहा ने प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए प्रोफेसर डॉ0 विश्व नाथ मौर्य से मोटी रकम का रिश्वत लेने के लिए पहले दिल्ली और फिर अपने बनारस निवास पर बुलाया, अपने छोटे भाई अनुराग कुशवाहा को मध्यस्थ बनाकर मिल बैठकर मीटिंग किया और नियुक्ति का झांसा देकर रिश्वत लेने की पूरी कोशिश किया किंतु डॉ. विश्व नाथ मौर्य ने अपने पर्याप्त योग्यता, क्षमता, गुणवत्ता और अनुभव होने के कारण प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए रिश्वत देने से इंकार कर दिया जिससे झल्लाकर भ्रष्ट कुलपति साकेत कुशवाहा ने प्रोफेसर डॉ. विश्व नाथ मौर्य को राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर के दिनांक 16 जनवरी 2021 के नोटिफिकेशन के जरिए अपने शक्ति का दुरुपयोग करते हुए सभी पदों के लिए अयोग्य ठहरा दिया।
प्रोफेसर डॉ0 विश्व नाथ मौर्य ने राजीव गांधी विश्वविद्यालय को अपने शिकायती पत्र में दर्जनों साक्ष्यों के साथ अवगत कराया है कि उनके पर्याप्त योग्यता, गुणवत्ता और अनुभव के आधार पर उनको न केवल देश के प्रतिष्ठित आईआईटी, आईआईएम समेत लगभग 50 राज्य एवं केन्द्रीय विश्वविद्यालयों से प्रोफेसर, रजिस्ट्रार, डायरेक्टर, एसोसिएट प्रोफेसर, चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर, उप रजिस्ट्रार, असिस्टेंट प्रोफेसर (रीडर) के साक्षात्कार के लिए बुलाया जा चुका है बल्कि उनको इसके पहले विदेश के कई विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष और डीन पद के लिए नियुक्त भी किया गया है। डॉ. विश्व नाथ मौर्य को जुलाई 2013 में फिजी विश्वविद्यालय, फिजी में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया और मई 2015 में कॉपर स्टोन विश्वविद्यालय किटवे, जाम्बिया (साउथ अफ्रीका) में प्रोफेसर एवं डीन (फैकल्टी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी) के पद पर चयन किया गया। इतना ही नहीं अपितु प्रो. विश्व नाथ मौर्य को शैक्षणिक, शोध एवं तकनीकी क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान और नेतृत्व इत्यादि के लिए कई बार दर्जनों अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। प्रो. मौर्य को भारत गौरव, राष्ट्रीय शिक्षा रत्न, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक्सीलेंस अवार्ड, कोहिनूर पर्सनालिटीज ऑफ द ईयर, एशिया- पैसिफिक हूज हू एचीवमेंट अवार्ड, एशियन एडमैरेबल एचीवर अवार्ड, एमरोल्ड हूज हू इन एशिया अवार्ड, एशियन - अमेरिकन हूज हू अवार्ड समेत दर्जनों पुरस्कारों से नवाजा गया है। देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रो. मौर्य को टेक्निकल एडवाइजर और उप्र प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ एवं छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के केन्द्रीय मूल्यांकन के लिए प्रधान परीक्षक के तौर पर कई बार नियुक्त किया गया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे देश-विदेश के कॉन्फ्रेंस में स्पीकर, चेयर और रिसर्च एवं टेक्निकल प्रोग्राम कमेटी मेम्बर इत्यादि के रूप में प्रो. विश्व नाथ मौर्य को आए दिन आमन्त्रित किया जाता रहा है। अभी हाल ही में साउथ कोरिया में इसी वर्ष में होने वाले इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में प्रो. विश्व नाथ मौर्य को स्पीकर के लिए आमंत्रित किया गया है।
यहाँ उक्त धांधली और विवादित प्रकरण में गम्भीर प्रश्न उठता है कि जो व्यक्ति अपने शैक्षिक योग्यता, गुणवत्ता और अनुभव के आधार पर पहले से ही देश- विदेश के अनेकानेक विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रहा हो, उसे राजीव गांधी विश्वविद्यालय का भ्रष्ट और रिश्वतखोर वाइस-चांसलर साकेत कुशवाहा अपने शक्ति का दुरुपयोग करके व्यक्तिगत ईर्ष्या - द्वेष और रिश्वत न पाने के कारण अयोग्य कैसे ठहरा सकता है? और, यदि प्रोफेसर /असोसिएट प्रोफेसर आदि के नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली के द्वारा निर्धारित शैक्षिक योग्यता, गुणवत्ता और अनुभव के सभी मानकों को ताख पर रखते हुए भ्रष्ट कुलपति ने अपने मनमाने ढंग से ऎसा भ्रष्टाचार किया है तो क्या विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली इसे अपने संज्ञान में लेने के बाद भ्रष्ट वीसी साकेत कुशवाहा के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करेगा ?भ्रष्ट और रिश्वतखोर वीसी साकेत कुशवाहा के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और धांधली के खिलाफ डॉ. विश्व नाथ मौर्य हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे। एक प्रोफेसर के रूप में उनका मानना है कि जनहित में सरकार या माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा ऎसे भ्रष्ट और रिश्वतखोर वीसी को उसके पद से न केवल डिसमिस कर दिया जाना चाहिए बल्कि उसके खिलाफ उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच हो और उसके रिश्वतखोरी, घोटाले एवं धांधली से अर्जित अवैध सम्पत्ति को जब्त करते हुए उसे तत्काल जेल भेज देना चाहिए।
संवाददाता :- प्रेम शंकर कुमार
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