ईटानगर , कई बार पुतला फूंके गए रिश्वतखोर - भ्रष्ट वीसी साकेत कुशवाहा के बर्खास्तगी और गिरफ्तारी की मांग के चलते राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर की बहुत थू-थू होने के बावजूद भी सरकार खामोश क्यों है : प्रोफेसर डॉ. विश्व नाथ मौर्य ।


गौरतलब है कि विगत माह से राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर वहाँ के सबसे भ्रस्ट वीसी साकेत कुशवाहा (The most currupt VC Saket Kushwaha) के द्वारा किए जा रहे धांधली, रिश्वतखोरी और भ्रस्टाचार के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है। आरजीयू में प्रोफेसर के रिक्त पदों की नियुक्ति में सीमांत धांधली, रिश्वतखोरी और भ्रस्टाचार के खिलाफ गणित एवं सांख्यिकी के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रोफेसर डॉ0 विश्व नाथ मौर्य (Dr. Vishwa Nath Maurya) के द्वारा रिश्वतखोर-भ्रस्ट वीसी साकेत कुशवाहा के बर्खास्तगी और गिरफ्तारी की मांग को लेकर आरजीयू की बहुत थूथू हो रही है। परन्तु इसके बावजूद भी भ्रष्ट वीसी साकेत कुशवाहा के संघी दलाल होने के कारण केन्द्र सरकार उसकी बर्खास्तगी और गिरफ्तारी के लिए निर्णय लेने में जानबूझकर खामोश है जिससे उच्च शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टतन्त्र को भरपूर बढ़ावा मिल रहा है और प्रोफेसर की नियुक्ति में योग्य अभ्यर्थियों के साथ घोर अन्याय हो रहा है। पिछड़े वर्ग से आने वाला भ्रष्ट कुलपति साकेत कुशवाहा अपने छल, कपट, ईर्ष्या, द्वेष और पद के अहंकार और उसके दुरुपयोग एवं रिश्वतखोरी इत्यादि को लेकर विशेषकर बहुजन समाज के शैक्षिक विकास में बाधक, घातक और विदूषक बनकर अभिशाप बना हुआ है। क्योंकि इसके पहले भी साकेत कुशवाहा बिहार में भाजपा समर्थित नीतीश सरकार के पिछले कार्यकाल में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया था जहाँ उसके धांधली, अत्याचार, भ्रष्टाचार, तानाशाही कार्यशैली और गलत बयानबाजी के खिलाफ विश्वविद्यालय के हजारों छात्रों एवं कर्मचारियों के अलग अलग संगठनों ने जगह- जगह कई बार उसका पुतला फूँक कर रोषपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया था ।और उससे पद छोड़ने की माँग भी किया था। बता दें कि पिछड़े वर्ग के एक शोध छात्र रह चुके सुधीर कुमार चौधरी ने भी साकेत कुशवाहा पर सीमांत अनैतिकता और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए न्याय पाने के लिए अपना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया था। किंतु हैरत की बात है कि इन सब के बावजूद भी शासन- प्रशासन द्वारा रिश्वतखोर - भ्रष्ट कुलपति साकेत कुशवाहा के ख़िलाफ़ उसके संघी दलाल होने के कारण कोई कार्यवाही नहीं की गयी थी। उससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि जहाँ भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और धांधली में संलिप्त साकेत कुशवाहा के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की शक्त आवश्यकता थी, वहाँ उसके संघ - भाजपा में चाटुकारिता के चलते उसे पुनः 2018 में राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर का कुलपति नियुक्त कर दिया गया जहाँ वह बेलगाम होकर बेइंतहा धांधली, रिश्वतखोरी और भ्रस्टाचार में लिप्त होकर अपने पद का खूब दुरुपयोग कर रहा है।
उक्त क्रम में आपको बता दें कि राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर के रिश्वतखोर - भ्रष्ट कुलपति साकेत कुशवाहा के कार्यकाल में रिक्त पदों के नियुक्ति प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर हो रही धांधली, रिश्वतखोरी और भ्रस्टाचार के चलते कुप्रभावित अभ्यर्थियों के बढ़ते गतिरोध के कारण विश्वविद्यालय में अभी तक 25 दिनों के बीत जाने के बावजूद भी अभ्यर्थियों की फाइनल स्क्रीनिंग लिस्ट जारी नहीं किया जा सका जो अपने आप में बहुत बड़ा सवाल खड़ा करता है। 16 जनवरी 2021 को प्रोविजनल लिस्ट जारी करके सर्कुलर में 23 जनवरी तक का समय अभ्यर्थियों के प्रतिवेदन के लिए दिया गया था। परन्तु वहीं सवाल खड़ा होता है कि विश्वविद्यालय के द्वारा 29 जनवरी को जारी सर्कुलर के अनुसार यदि योग्य अभ्यर्थियों की पहले से ही प्रापर स्क्रीनिंग किया गया था तो क्या फाइनल लिस्ट निकालने के लिए समीक्षा करने में इतना अधिक समय लगना चाहिए? और, यदि विश्वविद्यालय इतना अधिक समय लगा रहा है तो उसका राज तो स्वतः स्पष्ट हो जाना चाहिए कि दाल में कुछ काला ही नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है जिसका और अधिक खुलासा तब होगा जब चयन प्रक्रिया में धांधली, रिश्वतखोरी और भ्रस्टाचार से कुप्रभावित अभ्यर्थियों द्वारा आरटीआई के जरिए सूचना मांगी जायेगी। इतना ही नहीं, अपितु भ्रष्ट कुलपति साकेत कुशवाहा के कार्यकाल में आए दिन धांधली औरर भ्रस्टाचार को लेकर राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर में कोई न कोई नयी खबर सर्कुलर, समाचार पत्र और सोशल मीडिया के जरिए सुनने के लिए मिल ही जाती है जो स्पष्ट दर्शाता है कि भ्रष्ट वीसी साकेत कुशवाहा के धांधली, रिश्वतखोरी और तानाशाही कार्यशैली के विसंगतियों और अनियमितताओं के चलते विश्वविद्यालय की छवि दिन-प्रतिदिन बहुत खराब हो रही है जिसे दृष्टिगत रखते हुए केन्द्र सरकार को तत्काल प्रभाव से भ्रस्ट वीसी साकेत कुशवाहा की बर्खास्तगी करके जेल भेज देना चाहिए। फिलहाल, यदि सरकार धांधली, रिश्वतखोरी और भ्रस्टाचार में संलिप्त वीसी साकेत कुशवाहा की बर्खास्तगी में निर्णय लेने के लिए खामोशी रवैया अपनाते हुए जानबूझकर बचाने का प्रयास करेगी तो बर्खास्तगी और गिरफ्तारी की मांग के साथ उसके खिलाफ़ कोर्ट में जल्द ही याचिका दाखिल हो सकती है।
लखनऊ निवासी प्रोफेसर डॉ. विश्व नाथ मौर्य ने घोर आपत्ति जताते हुए सवाल खड़ा किया है कि यदि समाज का कोई संभ्रात शिक्षित व्यक्ति या राजीव गांधी विश्वविद्यालय का कोई प्रोफेसर रिश्वतखोर - भ्रस्ट वीसी साकेत कुशवाहा को जानता है और उसके व्यक्तिगत संबंधों एवं शैक्षणिक गतिविधियों से उसे रंच मात्र भी अच्छा मानता है तो क्या वह व्यक्ति सिर्फ उससे इतना पूछकर आडियो रिकार्ड अथवा किन्हीं अन्य साक्ष्यों के माध्यम से उन्हें उसके जवाब से अवगत करा सकता है कि कई विधिमान्य/मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष, डीन और डायरेक्टर रहने वाले एवं दर्जनों राष्ट्रीय - अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किए गए पर्याप्त योग्यता धारी अभ्यर्थी डॉ. विश्व नाथ मौर्य को यूजीसी मानकों की अनदेखी करके जीरो एपीआई (ZERO API) देकर कैसे अयोग्य ठहराया जा सकता है? क्या अपने को खुदा समझने वाला भ्रष्ट रिश्वतखोर साकेत कुशवाहा ने अपने पद का दुरुपयोग करके यूजीसी के मानकों को ताख पर रखते हुए उन्हें अयोग्य ठहराने के लिए जीरो एपीआई स्कोर देकर भ्रामक और आपत्तिजनक स्थिति नहीं उत्पन्न कर दिया है या कहीं यह सवाल तो नहीं खड़ा कर दिया है कि जब उत्कृष्ट कोटि के शैक्षिक योग्यता, गुणवत्ता, अनुभव और प्रकाशित शोधपत्रों - पुस्तकों तथा दर्जनों पुरस्कारों के प्राप्त करने से एपीआई स्कोर नहीं मिल सकता है तो क्या उस भ्रस्ट वीसी साकेत कुशवाहा के मा - बहन का बलात्कार करने से एपीआई स्कोर मिल सकता है? साकेत कुशवाहा जैसे भ्रष्ट रिश्वतखोर कुलपति के रहते हुए राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर में किसी योग्य अभ्यर्थी को नियुक्ति प्रक्रिया में न्याय मिल पाना सम्भव ही नहीं है क्योंकि वह स्वयं अपने शैक्षिक योग्यता और गुणवत्ता के आधार पर प्रोफेसर या कुलपति नहीं बना है बल्कि उसके संघी दलाल बाप सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा ने संघियों - भाजपाईयों के तलवे चाटकर उसे यहाँ तक पहुँचाया है जिससे उसका बेटा साकेत कुशवाहा वर्तमान में बतौर कुलपति भ्रष्टतंत्र के जरिए राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर को अपने बाप की जागीर समझकर योग्य अभ्यर्थियों के साथ उनकी नियुक्ति में घोर अन्याय और पक्षपात कर रहा है। किंतु उसको यह भी पता होना चाहिए कि योग्य अभ्यर्थियों की आवाज को दबाने में वह कब तक सफल होता रहेगा क्योंकि यह धरती कर्मठशील जुझारू वीरो, बुद्धिमानों और विद्वानों से भरा पड़ा है और उनमें से कोई न कोई ऎसे भ्रष्टाचारियों और रिश्वतखोरों से अवश्य ही टकराएगा? यहाँ उल्लेखनीय है कि अपने मुँह मियां मिट्ठू बनकर झूठा कृषि अर्थशास्त्री कहलाने वाला साकेत कुशवाहा ने अपने बेशर्मी, अनैतिकता, नीचता और तुच्छता की हदें पार कर दिया है जिससे उसका इसके पहले ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में भी कई बार पुतला फूँककर घोर निंदा और रोषपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया गया था, फिर भी रहस्य का विषय बना हुआ है कि सरकार उसकी बर्खास्तगी और गिरफ्तारी के मामले में खामोश क्यों है? क्या सरकार की कहीं सोची - समझी साजिश और गलत मंशा तो नहीं है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ऎसे भ्रष्टाचारियों और रिश्वतखोरों को पदासीन रखते हुए और उन्हें संरक्षण प्रदान करके भ्रष्टतंत्र को बढ़ावा दिया जाए? प्रो. मौर्य ने पुनः याद दिलाया है कि भ्रस्ट और रिश्वतखोर वीसी के रूप में बाप-पूत दोनों ने मिलकर धांधली के जरिए जितना भी रिश्वत अन्य अभ्यर्थियों से लिया होगा उसकी भरपाई अब कोर्ट के माध्यम से होगा जब भ्रस्ट वीसी के पद के दुरुपयोग किए जाने से योग्य अभ्यर्थियों को जबरन जीरो एपीआई स्कोर (ZERO API score) दिए जाने पर उसके खिलाफ कोर्ट में 10-20 करोड़ रुपये का मानहानि के दावा के लिए याचिका दायर होगी। उन्होने भ्रस्टाचार के आरोपी साकेत कुशवाहा और उसके पालतू गुर्गों को आगाह करते हुए यहाँ अवगत कराया है । कि प्रश्नगत भ्रस्टाचार के मामले में ही आरोपी साकेत कुशवाहा और उसके परिवार वालों को भलीभाँति समझ में आ जायेगा कि रिश्वतखोरी, धांधली, भ्रस्टाचार और पद के दुरुपयोग का खामियाजा क्या होता है? उन्होने कोर्ट पर भरोसा जताते हुए कहा है कि उन्हें कोर्ट के माध्यम से उचित न्याय अवश्य मिलेगा और भ्रष्टतंत्र को रोकने के लिए दोषी को बर्खास्त कर कठोर सजा दिया जायेगा।

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