ए ई एस के प्रति जागरुक किया गया ।



मोतिहारी- चमकी पर सरकार की तैयारी एक तरफ और मेहसी के दिनेश चंद्र यादव का चौपाल एक तरफ ।  चमकी पर दिनेश के तीन संदेशों की तारीफ   चिन्तामनपुर में चर्चा का विषय बना हुआ है। भूखे न सोना, चमकी आने पर तुरंत अस्पताल जाना और धूप में न खेलना। यह प्रसार  आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 66 व वार्ड नं 6 के साथ- साथ महादलित टोलों में हो रहा है।  दिनेश  केयर इंडिया में ब्लॉक मैनेजर के पद पर भी कार्यरत हैं । वह कहते हैं 
जीविका , आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, व स्वास्थ्य कर्मियों के सहयोग से लगातार मेहसी में ए ई एस/ चमकी बुखार से क्षेत्र के बच्चों को बचाने पर चौपाल का आयोजन किया जा रहा है । ताकि पहले की तरह जिले में घटनाएं न हो सके। वहीं अपनी भूमिका को भी मैनें बढ़ाया है ताकि  बच्चे चमकी के दुष्प्रभाव में न आये ।  इसके लिये मैं अतिरिक्त समय भी दे रहा हूँ।  उन्होंने बताया कि पूर्व में आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 167 वार्ड नम्बर 13 के साथ महादलित टोलों में चौपाल हो रहा है । जीविका के कम्युनिटी कोर्डिनेटर अंगद कुमार के सहयोग से   एईएस या चमकी बुखार से बचाने के लिए चौपाल लगाया जा रहा है ताकि पहले की तरह जिले में घटनाएं न हो सकें । इसके लिये जीविका दीदियाँ व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, व केयर कर्मी भी सहयोग दे रहे हैं ।

 पूर्वी चम्पारण जिले के विभिन्न क्षेत्रों में प्रखण्ड स्तर पर चमकी के साथ साथ परिवार नियोजन के बारे में भी  जागरूकता के लिए चौपाल का आयोजन किया जा रहा है 
 केयर के ब्लॉक मैनेजर दिनेश चंद्र यादव ने बताया कि ज्यादा गर्मी पड़ने पर औऱ ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है । बच्चे बेवजह धूप में घर से न निकले, गन्दगी से बचें , कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें , ताकि चमकी के साथ साथ अन्य मौसमी बीमारियों पर भी रोक लग सके ।  जिले में कुछ वर्षों से चमकी बुखार नामक महामारी से मुजफ्फरपुर, पूर्वी चम्पारण जैसे जिले  प्रभावित रहे हैं। जिसमें चमकी बुखार के कारण कई बच्चों को अपनी जान गवानी पड़ी है। इस बार ऐसी कोई घटना न हो इसके लिए जिले के तमाम मेडिकल टीमों को जन जागरूकता व मेडिकल व्यवस्था के साथ एईएस से लड़ने के लिए तैयार किया गया है। इसके लिए मेहसी, चकिया, मधुबन, तेतरिया सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में तैयारियां की गई हैं। एईएस से बचाव के लिए महादलित टोलों के साथ जगह जगह स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा चौपाल का आयोजन किया जा रहा है। महादलित टोला भीमलपुर,जीविका के दीदियों , आशा, रीता कुमारी, नीतू कुमारी आदि ने चौपाल आयोजित कर लोगों को चमकी बुखार से बच्चों को सुरक्षित रखने के उपाय बताये ।

सिविल सर्जन डॉ अखिलेश्वर सिंह व डीटीएल केयर अभय कुमार ने बताया कि आशा, जीविका दीदियों, आशा फैसिलिटेटरों, नर्सो को समय समय पर एईएस से सम्बंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। माइकिंग की जा रही है। कीटनाशकों का निरंतर छिड़काव किया जा रहा है। बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के लिए अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए। बच्चों को संतुलित भोजन देना चाहिए। स्वस्थ बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को मां का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है।  

अप्रैल से जुलाई तक मस्तिष्क ज्वर की संभावना रहती है  : 

सिविल सर्जन डॉ अखिलेश्वर सिंह ने बताया कि अप्रैल से जुलाई तक जिले में छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में मस्तिष्क ज्वर की  संभावना बनी  रहती है। ऐसी स्थिति में माता-पिता बच्चों की समस्या को पहचान नहीं पाते, जिसके कारण इसके इलाज में ही काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। हालांकि इससे बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी है।

केयर डिटीएल अभय कुमार ने बताया कि  गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। ताकि लोग चमकी बुखार मस्तिष्क ज्वर को सही समय पर जान सकें और समय पर इलाज कराकर सुरक्षित रह सकें। 

सरकार द्वारा एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध :

सिविल सर्जन ने बताया कि बच्चों के इलाज में किसी भी प्रकार की गंभीर स्थिति होने पर सरकार द्वारा एंबुलेंस की सुविधाएं उपलब्ध हैं। अगर एंबुलेंस में कोई देरी भी होती है तो माता-पिता प्राइवेट भाड़ा कर गाड़ी लेकर जिला अस्पताल आ सकते हैं। उनके आने जाने का सारा किराया सरकारी स्तर पर मुफ्त दिया जाएगा। 

एईएस के लक्षण 
- बच्चों को बहुत ही तेज बुखार होता है।
 -बुखार के साथ चमकी आना शुरू होता है। 
- मुंह से भी झाग आता है।
- भ्रम की स्थिति होना।
- पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना।
 - हाथ पैर का अकड़ होना।
- बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन का ठीक नहीं रहना।
- बेहोश होने जैसी स्थिति भी हो जाती है। 

 एईएस से बचने हेतु सावधानियां

- बच्चों को धूप से बचायें।
- ओ आर एस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी  लगातार पिलायें।
- रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
- बुखार होने पर शरीर को पानी से  पोछें।
-  पैरासिटामोल की गोली या सीरप दें।

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