इस लॉक डाउन में खूब बिकी शराब ,जाने पहले नंबर पर कौन जिला था .

पटना:- बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू हुए 5 साल से ऊपर हो गए हैं। 5 अप्रैल 2016 को बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया गया था। राजस्व में भारी नुकसान के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस कानून को बिहार में लागू करने का फैसला लिया।
 कानून को लागू करने का मुख्य मकसद बिहार में अपराध और घरेलू हिंसा के मामलों को कम करना था। लेकिन जिस तरह से आज शराब का कारोबार फल फूल रहा है उसे देखकर यह कहना उचित नहीं होगा कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी है। इसकी बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। जिसे लेकर विपक्षी पार्टियां भी लगातार सरकार को घेरने का काम कर रही है। वहीं मामले के जानकार का भी मानना है कि प्रदेश में अवैध शराब की बिक्री धड़ल्ले से जारी है। जिसे पूरी तरह से रोक पाने में सरकार असफल साबित हो रही है।

शराब तस्करी के खिलाफ उत्पाद विभाग की ओर से पूरे प्रदेश में लगातार कार्रवाई जारी है। बावजूद इसके शराब कारोबारी अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं। यही कारण है कि पटना शराब बिक्री के मामले में टॉप फाइव जिलों में शामिल है। लॉकडाउन के बाद शराब की बिक्री में तेजी आई है। जून 2021 की यदि बात की जाए तो रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा शराब पूर्वी चंपारण में बरामद किया गया है जबकि उसके बाद स्थान पटना का है।

जबकि शराब तस्करों की गिरफ्तारी की बात की जाए तो मुजफ्फरपुर में 55 और भोजपुर में 51 लोगों को गिरफ्तार किया गया। जून माह में कुल 9269 जगहों पर छापेमारी की गयी जबकि 1224 मामले दर्ज किए गये। इस दौरान कुल 655 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। वही इस दौरान 324 वाहनों को भी जब्त किया गया।

शराब बरामद किए जाने के मामले में पूर्वी चंपारण सबसे ऊपर हैं जबकि दूसरे स्थान पर पटना, तीसरे पर औरंगाबाद, चौथे पर सीवान जबकि पांचवे स्थान पर भागलपुर जिला है। वही गिरफ्तारी के मामले पर यदि गौर किया जाए तो पहले पायदान पर मुजफ्फरपुर जिला, दूसरे पर भोजपुर, तीसरे पर नवादा, चौथे स्थान पर राजधानी पटना और पांचवे स्थान पर सीतामढ़ी जिला है।

मामले के जानकार डॉ. संजय कुमार की माने तो विधि व्यवस्था बनाए रखने के साथ-साथ अवैध बालू खनन को देखने की जिम्मेदारी भी पुलिस पर है। पुलिस पर कई तरह भी देखने होते हैं। यही कारण है कि शराबबंदी को पूरी तरह से लागू करवाना उनके लिए मुश्किल साबित हो रहा है। शराबबंदी कानून का सख्ती से पालन हो इसे लेकर छापेमारी की जा रही है। शराब की बड़ी खेप भी पकड़ी जा रही है। शराब तस्करों को भी गिरफ्तार किया जा रहा है। विभाग की ओर 18003456268 और 15545 टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया है जिस पर शराब से संबंधित जानकारी दी जा सकती है।

मामले के जानकार डॉ. संजय कुमार का कहना है कि बिना सामाजिक जागृति के इसकी सफलता की कल्पना नहीं की जा सकती है। शराब को लेकर जब तक लोग जागरूक नहीं होंगे। शराब से होने वाले नुकसान के बारे में नहीं जानेंगे। इस बात को नहीं समझेंगे कि शराब हमारे जीवन, परिवार और समाज के लिए किस तरह से नुकसान दायक है। इन बातों की जानकारी मिलेगी तब ही वे शराब से दूरी बनाएंगे और शराबबंदी कानून को अमल में लाएंगे और अन्य लोगों को भी इसे लेकर जागरूक करेंगे।

इसे लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सकारात्मक कदम उठाये उनका यह कदम बेहद सराहनीय है लेकिन सोशल अवेयरनेंस नहीं पहुंचने से इस कानून का पालन सही रूप से लोग नहीं कर पा रहे हैं। सरकार ने कानून तो बना दिये लेकिन इसे समझने के लिए लोग तैयार नहीं है। जिस पुलिस पर इस कानून को लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है उसकी मिलीभगत की बात भी सामने आती रही है। वही रोजी रोजगार नहीं रहने के कारण युवा इस धंधे से जुड़ रहे हैं। वही जहरीली शराब के पीने से अब तक कई लोगों की मौतें भी हो गयी है।

बिहार में लागू किए गये शराबबंदी कानून पर एक्सपर्ट डॉ. संजय कुमार का यह भी मानना है कि बिना राय विचार के ही बिहार में शराबबंदी कानून लागू कर दिया गया है जबकि बिहार के पड़ोसी राज्य और देश में शराबबंदी कानून लागू नहीं है। इसका सीधा फायदा यूपी, हरियाणा, अरुणाचल, उड़िसा, पश्चिम बंगाल और झारखंड को मिल रहा है। जहां से शराब की खेप शराब तस्करों ने मंगवाई। कई बार तो ये पुलिस के हत्थे भी चढ़े।

वही शराबबंदी के दौरान पुलिस की हुई कार्रवाई से बिहार के जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं। इस दौरान अवैध शराब का निर्माण भी किया गया जिसे पीने से कई लोगों की मौत हो गयी जबकि कईयों की आंखों की रोशनी चली गयी। अब तो शराब की होम डिलीवरी की बात सार्वजनिक तौर पर नेताओं के द्वारा कही जाती है। लोग भी इस बात की चर्चा दबी जवान करते हैं। ऐसे में शराबबंदी कानून को कड़ाई से लागू करने की जरूरत हैं साथ ही लोगों में इसे लेकर अवेयर्नेंस भी बहुत जरूरी है

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